कोई जब रूह गढ़ता हूँ तो…….
कोई जब रूह गढ़ता हूँ तो वो शब्द बन जाता हैं,
कोई जब शब्द गढ़ता हूँ तो वो आवाज़ बन जाता हैं,
मै क्या दर्द लिखु इश्क़ और इश्क़ बाज का,
जब मै रूप गढ़ता हूँ तो वो “माँ” बन जाता हैं।
–सीरवी प्रकाश पंवार
कोई जब रूह गढ़ता हूँ तो वो शब्द बन जाता हैं,
कोई जब शब्द गढ़ता हूँ तो वो आवाज़ बन जाता हैं,
मै क्या दर्द लिखु इश्क़ और इश्क़ बाज का,
जब मै रूप गढ़ता हूँ तो वो “माँ” बन जाता हैं।
–सीरवी प्रकाश पंवार