कोई जन्नत मुक़ाबिल नहीं रहा।
कोई जन्नत मुक़ाबिल नहीं रहा,
जब से ये जहन्नूम जाहिल नहीं रहा।
ये वो जहन्नूम जो निगलता गया-
आज हय भर का क़ातिल नहीं रहा।।
कोई जन्नत मुक़ाबिल नहीं रहा,
जब से ये जहन्नूम जाहिल नहीं रहा।
ये वो जहन्नूम जो निगलता गया-
आज हय भर का क़ातिल नहीं रहा।।