कोई गैर
बेशक वो गैर हैं हमारे लिए,
मगर अपनों ने भी कहाँ सहारा दिया है,
जब भी लड़खड़ाए कदम मेरे जिंदगी के सफर में,
उसी गैर ने ही हाथो में हाथ दिया है,
बेशक वो गैर हैं हमारे लिए,
मगर अपनों ने भी कहाँ सहारा दिया है,
जब भी लड़खड़ाए कदम मेरे जिंदगी के सफर में,
उसी गैर ने ही हाथो में हाथ दिया है,