कोई ख़तरा, कोई शान नहीं”
कोई ख़तरा, कोई शान नहीं”
कोई ख़तरा, कोई शान नहीं,राहें खुद में जान नहीं।
सपनों की ऊँचाई चाहिए,पर बिना लहू की दास्तान नहीं।
रातों की चुप्प पर न जाइए,सपनों की सहर में अजान नहीं।
जो खुद को परख न सका,उसको खुदा की पहचान नहीं।
हौसले की ऊँचाई को देखिए,कोई भी जुनून आधान नहीं।
कोई जोखिम हो तो बढ़िए,क्योंकि बिना खतरे की कोई इम्तिहान नहीं।
हर सफलता की कीमत समझिए,कोई भी मेहनत बेकार नहीं।