कोई आयत सुनाओ सब्र की क़ुरान से,
कोई आयत सुनाओ सब्र की क़ुरान से,
वरना उलझ पड़ूँगा मैं सारे जहान से…!!
वह शाम आज तक मेरे सीने में नक़्श हैं,
एक शक्स फिर गया था अपनी ज़ुबान से…!!!
विशाल बाबू ✍️✍️
कोई आयत सुनाओ सब्र की क़ुरान से,
वरना उलझ पड़ूँगा मैं सारे जहान से…!!
वह शाम आज तक मेरे सीने में नक़्श हैं,
एक शक्स फिर गया था अपनी ज़ुबान से…!!!
विशाल बाबू ✍️✍️