कोई आपसे तब तक ईर्ष्या नहीं कर सकता है जब तक वो आपसे परिचित
कोई आपसे तब तक ईर्ष्या नहीं कर सकता है जब तक वो आपसे परिचित न हो क्योंकि अपरिचित से कोई भी ईर्ष्या नहीं करता है यदि वह ईर्ष्या करने लगा है तो कहीं न कहीं वह उससे परिचित हो चुका है।
RJ Anand Prajapati