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❆ लघुकथा सृजन – कॉपी – पेस्ट
❆ विषय – अति समझदारी, पड़ी भारी
❆ तिथि – 06 दिसम्बर 2018
❆ वार – बुधवार
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▼ विषय अनुसार लघुकथा
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राहुल व अनिल अच्छे व्हाट्सएप मित्र थे, एक ही जाति होने से परस्पर रिशतेदारी भी निकल गई.. परस्पर मिले नहीं थे बस।
राहुल एक लेखक तथा विभिन्न भाषाओं के उत्तम जानकर… विश्व की उत्कृष्ट रचनाओं को हिंदी में अनुवाद सहित लेखक के नाम तथा स्वयं के उपनाम को अनुवादक के रुप में सभी से साझा किया करते।
अनिल बड़ा प्रभावित होता व पुनः उसे कॉपी-पेस्ट कर नीचे अपना नाम लिखकर सभी को भेजता.. जिसमें राहुल भी होता था.. सबसे उत्तम टिप्पणी भी वही देता.. अनिल आभार एवं बधाईयों के पुल बाँध गर्व महसूस करता.. कुछ माह बाद चस्का बढ़ा तो उसने फेसबुक भी ज्वाईन कर लिया!!
आरम्भिक मित्रता निवेदन में उसने राहुल को शामिल किया.. जो कि तुरंत स्वीकृत हो गई।
दूसरे ही दिन राहुल का परिचय-उल्लेख(प्रोफाईल) देखी तो “आँखें.. फटी कि फटी ही रह गई”.. काटो तो खून नहीं.. बड़ी ग्लानि से राहुल को फोन मिला कर क्षमा याचना की.. एवं झेंपकर शिकायत भी.. तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बतलाया कि तुम्हारी ही रचनाओं एवं अनुवाद को मैं सबसे साझा करता रहा??
इसे कहते हैं #अति_समझदारी_पड़ी_भारी।
हर्ष व आश्चर्य की बात यह है कि जन्मजात ईश्वर प्रदत्त प्रतिभा तो थी ही लगन एवं मेहनत से आज अनिल स्वयं भी एक अच्छा लेखक कवि व साहित्यकार है।
#स्वरचित_सर्वाधिकार_सुरक्षित
(सत्य घटना पर आधारित)
(शब्दसंख्या 217)
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✍ अजय कुमार पारीक ‘अकिंचन’
Ajaikumar Pareek
☛ जयपुर (राजस्थान)
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