कैसे हो हम शामिल, तुम्हारी महफ़िल में
शीर्षक – कैसे हो हम शामिल, तुम्हारी महफ़िल में
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कैसे हो हम शामिल, तुम्हारी महफ़िल में।
हमारे लिए नहीं प्यार जब, तुम्हारे दिल में।।
कैसे हो हम शामिल—————–।।
भेजा नहीं तुमने तो, कोई संदेश हमको।
याद ही किया है कब, तुमने तो हमको।।
बिन बुलाये आये कैसे, तुम्हारी महफ़िल में।
कैसे हो हम शामिल——————।।
हमको समझते अपना तो, तुम मिलने आते।
साथ लेकर हमें जाते, रूठे को तुम मनाते।।
आती है हमको शर्म, जाते ऐसी महफ़िल में।
कैसे हो हम शामिल—————–।।
हम मुफ़लिस है, हमसे नहीं बढ़ेगी शोभा तुम्हारी।
नहीं करेंगे हमारे कारण, तारीफ लोग तुम्हारी।।
झुकावोगे शर्म से तुम सिर, हमारे कारण महफ़िल में।
कैसे हो हम शामिल——————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)