कैसे होगी भोर
कैसे होगी भोर
***********
रात बड़ी अंधेरी दिखती किरण नहीं किसी ओर
बताओ होगी कैसे भोर
अजब सा दिल मे है यह शोर
छटपट छटपट लगता जीवन
चले साँस बड़ी जोर
बड़ी है बेचैनी घनघोर
बताओ कैसे होगी भोर
सब रिश्तों ने दिल को कुचला
मेरा चला नहीं कोई जोर
बताओ कैसे होगी भोर
छल सहते सहते दिल टूटा
भीगे नयनों के कोर
बताओ कैसे होगी भोर।
हद कल बल छल की पार हो गयी
अब जाऊँ किस ओर
अंधेरा भी खोजे है भोर
बताओ कैसे होगी भोर
बताओ कैसे होगी भोर?
–अनिल मिश्र,प्रकाशित