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19 Dec 2023 · 1 min read

कैसे हाल-हवाल बचाया मैंने

कैसे हाल-हवाल बचाया मैंने
**********************

कैसे हाल-हवाल बचाया मैंने,
दर्द सीने में छुपाया मैंने।

खुद को न पहचान पाया वो,
आइना उसको दिखाया मैंने।

सूखी आँखों में नहीं थी नींदें,
अपनी गोदी में सुलाया मैंने।

माफ़ी करबद्ध माँगता आया,
दिल बहर हाल दुखाया मैंने।

चाहत का आलम तो देखिए,
हर पल रो कर बिताया मैने।

महफिल छोड़कर जाने लगा,
जा कर पीछे से बुलाया मैंने।

मनसीरत शिद्द्त से चाहा है,
सिर सजदे में झुकाया मैने।
**********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

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