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20 Dec 2020 · 1 min read

कैसे जीवन सार लिखूँ

गीत – कैसे जीवन सार लिखूँ
★★★★★★★★★★★
राग द्वेष छल दंभ कपट से ,
हो किस तरह सुधार लिखूँ।
रंग बदलती इस दुनिया में,
कैसे जीवन सार लिखूँ।।
◆◆◆◆◆◆
धन बल पद के लोभी जन नित,
मन द्वेषों में जीते हैं ।
सभी कर्म करते हैं कलुषित,
दुख जीवन भर पीते हैं।
संतों की भी हत्या होती,
है मानव परिपाटी में ।
गरल अधर्मी घोल रहे हैं,
चंदन जैसे माटी में।
चोर लुटेरे जहाँ जमे हों,
सुखी कहाँ घर बार लिखूँ।
रंग बदलती इस दुनिया में,
कैसे जीवन सार लिखूँ।।
◆◆◆◆◆◆◆
परिधान और खानपान भी,
दक्षिण का अब करते हैं।
अपने सब त्यौहार भूलकर,
रंग शून्य में भरते हैं ।
अपने मात-पिता का भी,
सम्मान नहीं कर पाते हैं।
उनको भूखे छोड़ घरों में,
बाहर मौज मनाते हैं।
अपनी पीढ़ी में जो सुरभित,
कैसा यह संस्कार लिखूँ।
रंग बदलती इस दुनिया में,
कैसे जीवन सार लिखूँ।।
★★★★★★★★★★★★
रचनाकार-डिजेन्द्र कुर्रे”कोहिनूर”

Language: Hindi
Tag: गीत
2 Likes · 381 Views
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