#कैसे कैसे खेल हुए
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★ #कैसे कैसे खेल हुए ★
कैसे कैसे खेल हुए
जीत सुनिश्चित हार हुई
दिखने लगा किनारा जब
किश्ती बीच मंझधार हुई
कैसे कैसे खेल हुए
चिर सुहागन प्यासी नदिया
सागर बंदी राजप्रसादों में
काली बदली छमछम रोती
प्रियतम ढूंढे सावन भादों में
कैसे कैसे खेल हुए
ठहरा पानी मन के किनारे
शब्दों का चीरहरण जैसे
सर्जनबेला मुंदते नैना
मनुजताबिरवे का मरण जैसे
कैसे कैसे खेल हुए
चाँद भटकता गली गली
सूरज को ढूंढे रातों में
मेरे उनके मिलन की घड़ियाँ
बीत गईं बस बातों में
कैसे कैसे खेल हुए
गिटमिट गिटमिट ऊँची बातें
मैं धरती का नन्हा बूटा
पछुआ बैरन महाठगिनी
ओढ़न और बिछावन लूटा
कैसे कैसे खेल हुए
भिखमंगों की बस्ती में
खोटे सिक्कों के हाथ लगाम
नंगा नंगे को नंगा कहता
तीरों को लेखनी कहे प्रणाम
कैसे कैसे खेल हुए
एक अकेला तारा गगन में
अपने जैसा दुखियारा जो
बस्ती बस्ती परबत परबत
गाये मन बंजारा हो
कैसे कैसे खेल हुए
अनजान नगर और गलियँ परायी
आँखें तरसें अपनों को
मेरे गीतों की मंजूषा
चितरे सिधारे सपनों को
कैसे कैसे खेल हुए . . .
#वेदप्रकाश लाम्बा
यमुनानगर (हरियाणा)
९४६६०-१७३१२