कैसे कह दूं मुझे उनसे प्यार नही है
कैसे कह दूं मुझे उनसे प्यार नही है।
प्यार तो है पर कोई इकरार नही है।।
चाहती हूं मैं भी उनको जी जान से ज्यादा।
प्यार वे भी करते है पर कोई इजहार नही है।।
लगी है आग प्यार की दोनो तरफ से।
बेबस है दोनो पर बुझाने कोई तैयार नहीं है।।
कैसा है ये प्यार जो दोनो में सुलग रहा है।
सुलग तो रहा है पर कोई बेकरार नही है।।
आयेगा एक दिन जब प्रस्ताव उनकी तरफ से।
मान मै भी जाऊंगी कोई इंकार नहीं है।।
लिखता है रस्तोगी,प्यार की बाते सबकी।
लिख तो दिया है पर मुझे अधिकार नही है।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम