कैसी है ये मीडिया
कैसी बनती मीडिया,कैसा बनता देश।
राम कृष्ण की ये धरा,धरती रावण वेष।।
भारत की यह मीडिया,छीन रही सुख चैन।
ना कोई मुद्दा यहां,रिया बसी बस नैन।।
रोजगार की मांग मे,युवा जलाएं दीप।
क्यों न दिखाए मीडिया, टूटी इनकी चीप।।
धूम मचाती मीडिया, लिए चुनावी राज।
भारत में बस नार दो, रिया-कंगना आज।।
न बिमारी-न बेकारी, और दिखे ना लूट।
हिन्दू-मुस्लिम लड़ मरें, ऐसी डालो फूट।।
जटाशंकर”जटा”
१०-०९-२०२०