कैसा अभागा हूँ मैं
कैसा अभागा हूँ मैं
जो वायदा कर के भी निभा नहीं सकता
खुशी मिलने पे भी जो मुस्का नहीं सकता
जिसे गाना ना आये , वो तो गायेगा क्या
में गायक होते हुए भी जो गा नहीं सकता
इस दुनिया में रहना नहीं चाहता
इसे छोड़ के भी जा नहीं सकता
लोग तो करते ही हैं कामना स्वर्ग मिलने की
मुझको मिल गया है , फिर भी उस को पा नहीं सकता
प्यासा ग़र जाये तो जाये पास कूएँ के
मगर जब कुआँ चल के पास मेरे आ गया है
रस्सी भी है , और है बाल्टी भी
मगर फिर भी पानी खींच के
अपनी प्यास बुझा नहीं सकता
कैसा अभागा हूँ मैं