के बतावऽ खास बा
गजल
मापनी-२१२२ २१२२ २१२२ २१२
के इहाँ आपन पराया के बतावऽ खास बा।
मतलबी दुनिया हवे जी ना केहू से आस बा।
जे रहेला दूर उनसे प्यार भी गहिरा रहे,
बेकदर होखत हवे जी आज जे भी पास बा।
हार ना मानब पराजय पर पराजय हो भले,
एक दिन होखब सफल हमरा इहे विश्वास बा।
मन गुलामी में रमल कुछ लोग के बा ए कदर,
सांस तऽ चलते रहे, लेकिन बुझाला लास बा।
विश्व में हो शांति सुख, छल दंभ ना लउके कतो
सूर्य के तहरा से प्रभु जी, बस इहे अरदास बा।
(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य
तुर्कपट्टी, देवरिया, (उ.प्र.)
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