केहू मरहम लगाई कहाँ मरदवा
अब बचल बा भलाई कहाँ मरदवा।
केहू मरहम लगाई कहाँ मरदवा।
तीर हमरी करेजा में लागल हवे,
दर्द तहरा बुझाई कहाँ मरदवा।
जख्म आपन देखावल खता हो गइल,
लोग देला दवाई कहाँ मरदवा।
जल रहल घर सभे हाथ सेंकत हवे,
आग केहू बुझाई कहाँ मरदवा।
आज बोतल पिआ के तू देखऽ तनी,
ई कदम लड़खड़ाई कहाँ मरदवा।
सांस धड़कन जिगर जान बाकी अबे,
‘सूर्य’ घायल कहाई कहाँ मरदवा।
दारू मुर्गा अलेक्शन में चाभऽ खुबे,
फेरु पइबऽ मलाई कहाँ मरदवा।
सन्तोष कुमार विश्वकर्मा ‘सूर्य’