कृष्ण पिंड से
कृष्ण पिंड से निकली दुनियाँ,कृष्ण पिंड में जाएगी।
कृष्ण तत्व को बिन समझे ,बात समझ नहीं आएगी।
प्रेम ,घृणा सब पागलपन है ,घुप्प अंधेरे के जैसा,
रूह अनन्त है अनन्त रहेगी,भला कहीं रम पाएगी।
कलम घिसाई
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