कृष्ण नामी दोहे
गीता मै श्री कृष्ण ने, कही बात गंभीर
औरों से दुनिया लड़े, लड़े स्वयं से वीर //१. //
लाल यशोदानंद का, गिरिधर माखन चोर
दिखता है मुझको वहां, मै देखूं जिस ओर /२. //
रूप-रंग-श्रृंगार क्यों, नाचे मन में मोर
उत्साहित हैं गोपियाँ, कृष्ण सखी चितचोर //३. //
गीता में श्री कृष्ण ने, कही बात गंभीर
अजर-अमर है आत्मा, होवे नष्ट शरीर //४. //
राधे शरमाकर कहे, आवे मोहे लाज
बंसी बाजे कृष्ण की, भूल गई सब काज //५. //
लड़ते-लड़ते लड़ गए, राधे से यूँ नैन
महावीर ये हाल अब, कृष्ण हुए बेचैन //६. //
निर्मल जमुना जल बहे, कृष्ण खड़े हैं तीर
आ जाओ अब राधिके, मनवा खोवे धीर //७. //
कृष्ण-सलोना रूप है, राधा हरि का मान
देह अलौकिक गंध है, प्रेम अमर पहचान //८. //