कृष्ण जन्म
विधाता छंद सृजन
१२२२-१२२२-१२२२-१२२२
महीना नेक भादो का,
दिवस बुधवार शुभकारी।
अँधेरी रात काली थी,
लिए जब जन्म वनवारी।
कड़क कर बिजलियों ने ,
दीप राहों में जलाया था।
बरसकर बादलों ने भी ,
मधुर संगीत गाया था।
सभी दरबान सोए थे,
खुली तब बेड़ियाँ सारी।
हुई तब कंस के वध की,
शुरू तत्काल तैयारी।
अँधेरों ने किया स्वागत,
कहो हर-हर मुरारी की।
गए झट खुल सभी ताले,
अजब लीला बिहारी की।
डरो मत देवकी बोली,
रखो अब ध्यान बालक का।
इसे भी कंस मारेगा,
करो कुछ ज्ञान पातक का।
तभी वसुदेव जी बोले,
करो चिन्ता नहीं प्रिय तुम।
रखो कुछ आस अब मन में ,
धरो धीरज हृदय में तुम।
हमें चिन्ता नहीं उनकी,
उन्हें चिन्ता हमारी है।
हमारे प्राण के रक्षक,
सुदर्शन चक्रधारी है।
बढा है पाप जब-जब तब,
लिए हैं जन्म अवतारी।
हुई है मात हर्षित तब,
मिले हैं दीन उपकारी।
लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली