कृष्ण को सलाह
कृष्ण कन्हैया तुम मत आना आकर के पछताओगे
बदल गई है दुनियां सारी चक्कर में फंस जाओगे
ग्वाल गोपियां रास रचाने पंचतारा होटल जाते
दीन सुदामा भीख मांगता सड़कों पर आते जाते
डिटर्जेंट का दूध मिल रहा गोरस कैसे पाओगे
कृष्ण कन्हैया तुम मत आना आकर के पछताओगे
वृद्धाश्रम में पड़ी यशोदा गाय कट रही सड़कों पर
कंस बन गये नेता सारे कब्जा कर के संसद पर
डरे नंद अपने कान्हा से आँसू रोक न पाओगे
कृष्ण कन्हैया तुम मत आना आकर के पछताओगे
चीरहरण अब कैसे होगा जब तन पर है चीर नहीं
कौन सुनेगा मुरली तेरी यमुना तट पर भीड़ नहीं
तेरी भी सब हँसी उड़ाते वह कैसे सह पाओगे
कृष्ण कन्हैया तुम मत आना आकर के पछताओगे
बदल गई है दुनियां सारी चक्कर में फंस जाओगे