कृष्ण की मुरली पर एक मुक्तक
कृष्ण की मुरली पर एक मुक्तक..
अरे कान्हा तेरी मुरली हमें हरदम लुभाती है।
ते’री बंसरी की’ धुन कानो में’ रस सा घोल जाती है।
अधर से वो है’ यूं चिपकी कभी भी वो अलग ना हो।
स्वरों की मीठी’ सी लहरी ह्रदय को छू के’ जाती है।।
प्रवीण त्रिपाठी
04 दिसंबर 2016