*कृष्ण की दीवानी*
कृष्ण की दीवानी
सांझ ढले जब राधा कान्हा संग ,
अधरों की बांसुरी लेके बजा रही।
विरान जंगल में झर झर झरना बहता,
स्वच्छ जल पानी रिस रहा।
पंख फैलाए शांत हो मोर बंसी धुन सुन,
नाचने को लालायित बैठा हुआ।
सुंदर नयन नक्श लिए कान्हा जी,
ओंठ पे मुस्कान लिए राधिका को निहारते।
हरी सुनहरी साड़ी माथे बिंदिया चमक रही,
पेड़ पौधे भी बंसी की धुन पे लहराते हुए।
मोर मुकुट पीतांबर धारी मनमोहक छबि,
राधिका संग उन पलों को गुजारते हुए।
कमर कस कर धनी स्वर्ण सुहाए,
राधा कृष्ण की युगल जोड़ी सभी को भाए।
शशिकला व्यास शिल्पी ✍️