*कृष्ण-कथा (भक्ति गीत)*
कृष्ण-कथा (भक्ति गीत)
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चलो कृष्ण को पूजें जिनकी, लीला अपरम्पार है
(1)
जन्म जेल में हुआ कृष्ण का माता-पिता अभागे
जान बचाने को बेटे की उठकर दौड़े-भागे
बनना जिसको राजकुॅंवर था, गाँवों में पहुॅंचाया
यही नियति की इच्छा समझो, विधि ने यही रचाया
गाँव नंदबाबा का देखो, यमुना के उस पार है
(2)
राजा का वह बेटा अब गायों को रोज चराता
सुबह निकलकर जाता तो फिर लौट शाम को आता
उसने सीखा संग ग्वाल के समता में रह जीना
और गोपियों का उस छोटे बालक ने दिल छीना
सबकी आँखों का तारा वह, और गले का हार है
(3)
नृत्य-कला में वह पारंगत, बंसी मधुर बजाता
महारास उसका मधुरिम गोपी-राधा को भाता
यमुना के तट रेत -चाँदनी चमकीली जब फैली
महारास की निर्मलता से रही न धरती मैली
सच्चा प्रेम उपस्थित इसमें, जो जग का आधार है
(4)
यमुना को कर रहा विषैला कालिय-नाग भगाया
मुक्त प्रदूषण से यमुना को कर जग को दिखलाया
कार्य असम्भव था यह जहरीले-कालिय से भिड़ना
किन्तु कार्यशैली यह थी संघर्ष दुष्ट से छिड़ना
नदी स्वच्छता सीखो इससे, यही कथा का सार है
(5)
दुर्योधन को सेना सौंपी, अर्जुन का रथ हाँका
साधन से बढ़कर सच्चाई को अर्जुन ने आँका
जहाँ कृष्ण हैं विजय सुनिश्चित वहाँ दौड़कर आती
संग कृष्ण के अर्जुन की ताकत बढ़ती ही जाती
विजय पांडवों के हिस्से में, दुर्योधन की हार है
(6)
क्या रक्खा मरने-जीने में, यह शरीर जल जाना
अजर अमर शाश्वत आत्मा है, यह किसने पहचाना
बार-बार हम मरते हैं फिर जन्म ले रहे आते
पुनर्जन्म सिद्धांत कृष्ण गीता में यह बतलाते
ध्यान लगाकर जानो खुद को, यदि तो ही उद्धार है
चलो कृष्ण को पूजें जिनकी, लीला अपरम्पार है
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451