कृषक
✒️?जीवन की पाठशाला ?️
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की जिस प्रकार सृष्टि के रचियेता हैं ब्रह्मदेव,ठीक उसी प्रकार इस सृष्टि के जीवों के वास्तविक पालनहार हैं किसान /कृषक ..
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की मुझे आज तक समझ नहीं आया की किसानों को गरीब -अनपढ़ क्यों कहा जाता है ? जो व्यक्ति दिन रात सुबह शाम गर्मी सर्दी बारिश पाले में बिना अपने तन की परवाह किये हुए बेखौफ हमारे लिए अन्न पैदा करने का जरिया बनते हैं वो गरीब कैसे हुए ?
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की आज एक पढ़ा लिखा व्यक्ति अपने घर में -रेस्टोरेंट में -शादी ब्याह उत्सव में जिस तरीके से खाने को झूठा छोड़ता है /बर्बाद करता है वहीँ दूसरी ओर कृषक एक एक बाली को तोड़कर एक एक दाना जोड़ता है तो आप बताइये की अनपढ़ कौन हुआ -कृषक या हम !
आखिर में एक ही बात समझ आई की कृषक का जीवन बहुत ही संघर्षपूर्ण है ,कृषक के लिए उसकी फसल उसकी औलाद से बढ़कर है -उसकी फसल उसकी और उसके परिवार की रोजी रोटी का जरिया -उसकी पत्नी बच्चों के सपने -उनकी ख़ुशी है …. !
पहले किसान स्वयं हल जोत कर खेती करता था ,आज विज्ञानं ने इतनी तरक्की कर ली है की एक से एक नए कृषि उपकरण और संसाधन आ गए हैं जिनसे समय की बचत होती है ,किसान की शारीरिक मेहनत कम हो जाती है और फसल भी जल्दी और ज्यादा पैदा होती है !
हमारे लिए बड़े ही गर्व की बात है की भारतीय कृषक संपूर्ण विश्व में अपना विशेष स्थान रखते हैं !
बाक़ी कल , अपनी दुआओं में याद रखियेगा ?सावधान रहिये-सुरक्षित रहिये ,अपना और अपनों का ध्यान रखिये ,संकट अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क ? है जरुरी …!
?सुप्रभात?
स्वरचित एवं स्वमौलिक
“?विकास शर्मा’शिवाया ‘”?
जयपुर-राजस्थान