कृषक समाज
कृषक समाज (चौपाई)
कितना उत्तम सरल कृषक हैं।
करते श्रम अति घोर अथक हैं।।
इनपर आश्रित सारी जगती।
बिना अन्न के दुनिया मरती।।
जग पालक ये कृषक बंधु
हैं।
अति उदार प्रिय शांत सिन्धु हैं।।
इनसे बड़ा न कोई जग में।
दया भरी रहती रग-रग में।।
प्रकृति समीप सदा ये रहते।
साफ-स्वच्छ सा बने विचरते।।
ईश्वर के प्रति सहज समर्पित।
इनका तन-मन जग को अर्पित।।
लोक रीति संस्कृति अति पावन।
कृषक समाज हेतु मनभावन।।
मिट्टी से अविरल नाता है।
भूख मिटाते शिव दाता हैं।।
कोई नहीं पराया इनका।
सदा सुशील हृदय-मन इनका।।
सच्चे साथी ये सुख-दुख में।
सद्भावन इनके उर -मुख्य में।।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।