कृषक,फसल/हाइकु/निमाई प्रधान’क्षितिज’
[१]
कृषक रुष्ट
बचा आख़िरी रास्ता
क्रांति का रुख़
[२]
दुःखी किसान
सूखे खेत हैं सारे
चिंता-वितान
[३]
जय किसान
न करो अनदेखा
काला विहान
[४]
वक़्त की मांग
हो कृषक-विमर्श
लीक को लांघ
[५]
प्रकृति-मित्र!
सब भूले तुमको
बड़ा विचित्र!!
[६]
पके फसल
हर्षित है कृषक
हुआ सफल
[७]
सोन-बालियाँ
पवन संग झूमें
धान के खेत
[८]
बंजर भूमि
फसल कहाँ से हो ?
हारा है वह
[९]
है अन्नदाता
वह है जगदीश
वही विधाता
[१०]
आँखों में ख्व़ाब
फसल पक रहे
ब्याज तेज़ाब!!
[११]
धान के खेत
मनवा हर लेत
आनंद देत
-@निमाई प्रधान’क्षितिज’
रायगढ़, छत्तीसगढ़
मो.नं. 7804048925