कृपा का हाथ
सरसी छंद
शीत काल के नव रातों में, फिर से आई याद
बैठ गये माता चरणों में , करन लगे फरियाद
शेष वरस डूबे रहे थे, जीवन के आयाम
मद में सब तब भूल चुके थे, माता का सम्मान
लड़की तब बस माल लगी थी, आज टेकते माथ
बदलो यह भावना तुम्हारी, पा लो किरपा हाथ