Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Oct 2024 · 1 min read

कृपा का हाथ

सरसी छंद

शीत काल के नव रातों में, फिर से आई याद
बैठ गये माता चरणों में , करन लगे फरियाद
शेष वरस डूबे रहे थे, जीवन के आयाम
मद में सब तब भूल चुके थे, माता का सम्मान
लड़की तब बस माल लगी थी, आज टेकते माथ
बदलो यह भावना तुम्हारी, पा लो किरपा हाथ

Language: Hindi
23 Views
Books from Dr.Pratibha Prakash
View all

You may also like these posts

काव्य की आत्मा और औचित्य +रमेशराज
काव्य की आत्मा और औचित्य +रमेशराज
कवि रमेशराज
कितनी मासूम
कितनी मासूम
हिमांशु Kulshrestha
"उतर रहा मन"
Dr. Kishan tandon kranti
कोहरा
कोहरा
Suneel Pushkarna
सुर्ख कपोलों पर रुकी ,
सुर्ख कपोलों पर रुकी ,
sushil sarna
** चीड़ के प्रसून **
** चीड़ के प्रसून **
लक्ष्मण 'बिजनौरी'
पाश्चात्यता की होड़
पाश्चात्यता की होड़
Mukesh Kumar Sonkar
अब वो रूमानी दिन रात कहाँ
अब वो रूमानी दिन रात कहाँ
Shreedhar
I love you Mahadev
I love you Mahadev
Arghyadeep Chakraborty
मजदूर का दर्द (कोरोना काल)– संवेदना गीत
मजदूर का दर्द (कोरोना काल)– संवेदना गीत
Abhishek Soni
मैं सूर्य हूं
मैं सूर्य हूं
भगवती पारीक 'मनु'
कविता
कविता
Shweta Soni
आज के युग में कल की बात
आज के युग में कल की बात
Rituraj shivem verma
अब   छंद  ग़ज़ल  गीत सुनाने  लगे  हैं हम।
अब छंद ग़ज़ल गीत सुनाने लगे हैं हम।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
मूंछ का घमंड
मूंछ का घमंड
Satish Srijan
लिखा भाग्य में रहा है होकर,
लिखा भाग्य में रहा है होकर,
पूर्वार्थ
वो एक संगीत प्रेमी बन गया,
वो एक संगीत प्रेमी बन गया,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
आया दिन मतदान का, छोड़ो सारे काम
आया दिन मतदान का, छोड़ो सारे काम
Dr Archana Gupta
अपनी नज़र में
अपनी नज़र में
Dr fauzia Naseem shad
ऐसा कभी नही होगा
ऐसा कभी नही होगा
gurudeenverma198
रिश्ता दिल से होना चाहिए,
रिश्ता दिल से होना चाहिए,
Ranjeet kumar patre
कैसे कहें घनघोर तम है
कैसे कहें घनघोर तम है
Suryakant Dwivedi
सोलह आने सच...
सोलह आने सच...
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
10) पैगाम
10) पैगाम
नेहा शर्मा 'नेह'
2789. *पूर्णिका*
2789. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
■हरियाणा■
■हरियाणा■
*प्रणय*
अगहन कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के
अगहन कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के
Shashi kala vyas
जब अपने सामने आते हैं तो
जब अपने सामने आते हैं तो
Harminder Kaur
आत्मा, भाग्य एवं दुर्भाग्य, सब फालतू की बकबास
आत्मा, भाग्य एवं दुर्भाग्य, सब फालतू की बकबास
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
*इस धरा पर सृष्टि का, कण-कण तुम्हें आभार है (गीत)*
*इस धरा पर सृष्टि का, कण-कण तुम्हें आभार है (गीत)*
Ravi Prakash
Loading...