कृपाण घनाक्षरी
कृपाण घनाक्षरी – यह एक वर्णिक छंद है।इसमें कुल 32 वर्णों का प्रयोग होता है।इस छंद में 8,8,8,8 वर्णों पर यति होती है और प्रत्येक यति पर अंत्यानुप्रास का प्रयोग होता है। चरणांत में गुरु लघु (ऽ।) वर्ण का प्रयोग अनिवार्य होता है।
(1)
रूपराशि बनी हाला,नशा करे मतवाला,
तिल है कपोल काला,देखें सब बार- बार।
चाल गजगामिनी सी,बनी ठनी मानिनी सी,
दंतकांति दामिनी सी,बात-बात झरे प्यार।
आँखों में अंजन लगा,दिल लिए प्रेम पगा,
राही भी है खड़ा ठगा,देख करे मनुहार।
रति की पताका लिए,हँसी का ठहाका लिए,
रूप अति बाँका लिए,जिसे देखे देती मार।।
(2)
फैला देश में आतंक,नित्य ही ये मारे डंक,
परेशान राजा रंक, कुछ करो सरकार।
चीखता अब कश्मीर, बढ़ती ही जाए पीर,
सिर के ऊपर नीर, करो अब आर-पार ।
मरते जवान रोज,त्याग भी दो अब भोज,
मारो सभी खोज खोज,सेना को करो तैयार।
सोच विचार छोड़ दो,तोपों का रुख मोड़ दो,
अणु बम को फोड़ दो,सुनो देश की पुकार।।
डाॅ0 बिपिन पाण्डेय