कृति-समीक्षा
संघर्षों को ध्वनि देता कहानी-संग्रह : ‘दहकते गुलमोहर’
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समीक्षक : राजीव ‘प्रखर’, मुरादाबाद (उ. प्र.)
कहानी साहित्य की एक ऐसी विधा रही है, जिसमें सदैव से ही उत्कृष्ट कृतियाँ जन्म लेती रही हैं l गोंडा (उ. प्र.) में पली-बढ़ी डॉ० रजनी रंजना का कहानी-संग्रह, ‘दहकते गुलमोहर’, इसी श्रृंखला की एक कड़ी के रूप में पाठकों के सम्मुख है l जीवन के संघर्षों को दर्शाते इस कहानी-संग्रह का अवलोकन करने से प्रतीत होता है, मानो ये कहानियाँ ही नहीं अपितु, जीवन में आस-पास ही घट रही घटनाओं के साकार चित्र भी हैं l
कृति के आरम्भ में ही, लेखिका की उत्कृष्ट लेखनी से अवतरित, एक सुन्दर वंदना, ‘समर्पण’ शीर्षक से दृष्टिगोचर होती है जिसमें लेखिका ने ज्ञानदायिनी माँ शारदे व अपनी पूज्य माताश्री के प्रति अपने श्रद्घाभाव को, अत्यन्त मनोहारी रूप में प्रस्तुत किया है l तत्पश्चात् कृति की उत्कृष्टता को प्रमाणित करते, वरिष्ठ साहित्यकार श्री यशपाल कौत्सायन ‘उत्कर्ष’ (मेरठ), श्रीमती आदर्शिनी श्रीवास्तव (मेरठ) व श्री शीलम श्री के सुंदर व सारगर्भित उदबोधन सामने आते हैं l आगे बढ़ने पर कृति के सम्बंध में, लेखिका की भावपूर्ण अभिव्यक्ति, ‘मुझको बस इतना कहना है’ शीर्षक से दृष्टिगोचर होती है l
‘दहकते गुलमोहर’ कहानी-संग्रह की उत्कृष्टता इसी तथ्य में निहित है कि, इसकी सभी कहानियाँ अत्यन्त सहज, सरल व मनमोहक भाषा-शैली में, जीवन के उतार-चढ़ाव को दर्शाती हैं l समीक्षक का यह सौभाग्य रहा कि, उसे इस कृति की एक प्रति विमोचन से पूर्व ही उपलब्ध हो गयी थी l
कुल १५ सुन्दर कहानियों से सजी इस श्रंखला का आरंभ, पर्वतों की पीड़ा को साकार करती, ‘पर्वताकार व्यथा’ नामक कहानी से होता है l आगे बढ़ने पर बेटियों की महिमा-गरिमा व वेदना को दर्शाती, ‘महादात्री’, तत्पश्चात् रिश्तों की कशमकश व अन्य संवेदनाओं को सामने रखतीं, ‘साजिद भाई’, ‘पुनीता भाभी’, ‘दरकती ज़मीन’, ‘महायज्ञ महादान’, ‘दहकते गुलमोहर’, ‘सुहानी’, ‘बन्द गलियों की ज्योति’, ‘एक टुकड़ा इन्द्रधनुष’, ‘कल्याणी माँ’, ‘या ख़ुदा रहम कर’, ‘डर’, ‘अनोखा बन्धन’ एवम् ‘फिर पाषाणी हो गयी अहल्या’ शीर्षकों से, विभिन्न कहानियाँ, जीवन के सजीव चित्रों की भाँति सामने आती हैं l
कृति की एक अन्य विशेषता यह भी है कि, इसकी कहानियों में पात्रों की संख्या सीमित है, जिससे पाठक उलझन में नहीं पड़ता तथा कहानियों के कथ्य एवम् सार को सरलतापूर्वक पकड़ने में सक्षम रहता है l निश्चित ही उक्त कहानी संग्रह अपनी इन विशेषताओं के चलते, किसी भी स्तरीय पुस्तकालय की शोभा बनने के सर्वथा योग्य है l
निष्कर्षत: यह कहा जा सकता है कि, पेपर बैक स्वरूप में आकर्षक छपाई तथा सहज व सरल भाषा-शैली के साथ, एक ऐसा कहानी-संग्रह हमारे सम्मुख है, जिसे हर बार पढ़ने पर, जीवन का एक नया पहलू सामने दिखायी देता है l पाठकों के अन्तस को स्पर्श करने में पूर्णतया सक्षम इस उत्कृष्ट कृति के लिये, लेखिका एवम् प्रकाशन संस्थान दोनों ही, बहुत-बहुत साधुवाद के पात्र हैं l
कृति का नाम : ‘दहकते गुलमोहर’
लेखिका : डॉ० रजनी रंजना
कुल पृष्ठ : १६०
कुल कहानियाँ : १५
प्रकाशन वर्ष : २०१८
मूल्य : रु० ३००/-
प्रकाशक : उत्कर्ष प्रकाशन, १४२ शाक्यपुरी, कंकरखेड़ा, मेरठ कैन्ट-२५० ००१ (उ. प्र.), फ़ोन : ८७९१६८१९९६
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