कृतज्ञ बनें
गिरते को जिसने उठाया, उसको लुटेरा कह दिया।
जिससे रोशन थे सभी , उसको अंधेरा कह दिया।।
जो दिखाया राह सच का, अब वही झूठा हुआ।
जिसने तुम से हम बनाया,अब पड़ा टूटा हुआ।।
जो खिलाया पुंज आशा के, है निराशा में पड़ा।
मौत से लड़ता हुआ वह, बस अकेला है खड़ा।।
उसको है शर्मिंदगी अब, इस तुम्हारे काम से।
डिग गया विश्वास उसका, अब मनुज के नाम से।।
जय हिंद