कुर्सी
सत्ता का ऐसा नशा , दिखते शाही भोग ।
एक एक कर हाट में , बिके अधिकतर लोग ।।
बिके अधिकतर लोग , दिखा जब लेखा जोखा ।
कल तक थे बदहाल ,आज सब चोखा चोखा ।
अब जमीर की बात , हो गई बहुत पुरानी ।
नूरा कुश्ती रोज , दिखे जब दाना पानी।।
सतीश पाण्डे