कुर्सी
देखो कुर्सी के लिए, नेता में तकरार।
यहाँ सभी के मूँह से, टपक रहे हैं लार।।
निकल पड़े नेता सभी,ले दल-बल हथियार।
इक दूजे पर कर रहे, तीखा शब्द प्रहार।।
बीच सड़क नेता खड़े,लगा रहें हैं टेर।
इक दूजे का देखिये, बखिया रहे उधेर।।
सब दल की निन्दा करे,अपनी जय जयकार।
अच्छे दिन की चाशनी,फिर से है तैयार।।
हेरा फेरी में लगी, पार्टी चलती चाल।
नैतिकता भूले सभी, ले कुर्सी की ढ़ाल।।
यहाँ खड़े हर एक के,मन में बैठा चोर।
गिद्ध दृष्टि से देखते, बस कुर्सी की ओर।।
सत्ता के लोभी सभी,बनते दावेदार।
करे भलाई देश का, वो असली हकदार।।
लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली