कुर्सी प्यारी या जान !
कुर्सी इतने प्यारी मगर कुर्सी से प्यारी जान है मियां !
छोड़ दो ज़िद वरना जान से हाथ धो बैठोगे ।
इस सियासत में आज तक किसी की दाल न गली ,
और तुम दीवाने ! अपनी अलग खिचड़ी पकाओगे !
कुर्सी इतने प्यारी मगर कुर्सी से प्यारी जान है मियां !
छोड़ दो ज़िद वरना जान से हाथ धो बैठोगे ।
इस सियासत में आज तक किसी की दाल न गली ,
और तुम दीवाने ! अपनी अलग खिचड़ी पकाओगे !