कुर्बानी के फूल
कल नज़र के सामने थे ,
हँसते -खिल-खिलाते जो फूल ,
आज वोह यादों में कहीं खो गए ,
देकर लहू अपनी कुर्बानी का मगर ,
इतिहास में अपना नाम तो अमर कर गए .
कल नज़र के सामने थे ,
हँसते -खिल-खिलाते जो फूल ,
आज वोह यादों में कहीं खो गए ,
देकर लहू अपनी कुर्बानी का मगर ,
इतिहास में अपना नाम तो अमर कर गए .