कुरुक्षेत्र में कृष्ण -अर्जुन संवाद
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कुरुक्षेत्र में कृष्ण -अर्जुन संवाद
छंद -लावणी
देख सुसज्जित कौरव सेना,अर्जुन मन वैराग्य जगा।
सम्मुख पाकर भीष्म पितामह,देख रहा वह ठगा-ठगा।।
कृपाचार्य अरु द्रोण खड़े थे, और शैल्य थे मामा भी,
धनुष बाण सब त्याग दिये तब,करने वाद विवाद लगा।
परिजन वध कर, क्या पाऊॅगा, हे माधव बतलाओ तो।
भोग विलास मिले इस जग का,समझ नहीं,समझाओ तो।।
नहीं मुनासिब मुझको लगता , उनके बिन जीवन जीना,
रण करना उपयुक्त नहीं है, उचित मार्ग दिखलाओ तो।