कुरसी महिमा धत्ता छंद
कुरसी महिमा
धत्ता छंद ६२ मात्रायें
१८/१३ के चार चरण
१८ में १०/८ पर यति
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कुरसी महरानी,परम सयानी ,
सदा तरुण जन मन हरन ।
मन मोहनि माता, भाग्य विधाता,
नित सब जग तारन तरन।
कोउ कुटिल दरिंदा, मूरख नंदा
पाय करे जीवन सफल।
धन झूल झुलावत, पद मद लावत
सनत कीच दीखत विमल ,
जनता जयकारे, गूंजें नारे।
सुनि सुनि हो नेता मगन ।
पद से पद पावे, बढ़ता जावे।
जन प्रिय बन नायक सघन ।
सब उमर बिताई,कर कविताई ,
चुन राखे आखर रतन ।
हे कुरसी मैया, भेज रुपैया।
तव महिमा गावत जतन ।
गुरू सक्सेना
13/6/24