कुन्डलिया :– सरहद (नातों की )-2 ॥
कुन्डलियां :– सरहद -2 !!
सरहद भावों से बनी ,
बड़ी विकट विकराल !
बंधन के ब्रम्हास्त्र हैं ,
जज्बाती हैं भाल !!
जज्बाती हैं भाल ,
जाल बुनती तरकीबें !
उलझन के जंजाल ,
खाल रिश्तों की खींचे !!
कहे “अनुज” अभिमान ,
लिये अपना ऊँचा कद !
मिले भाव प्रतिकूल ,
तभी बनती ये सरहद !!
अनुज तिवारी “इन्दवार”