कुन्डलिया :– घट यूँ घट पनघट गए !!
कुंडलिया :– घट यूँ घट पनघट गये !!
घट यूँ घट पनघट गये,
सरपट बहता नीर !
सरिता कहे पहाड़ से ,
फूटी है तकदीर !!
फूटी है तकदीर ,
पिया क्यों आवत नाहीं !
बिना पिया जलधार ,
मुझे अब भावात नाहीं !!
कहे “अनुज” जलधार ,
चली अब ऐसे सरपट !
तन से निकले प्राण
कहाँ है अब वो पनघट !!
अनुज तिवारी “इन्दवार”