कुन्डलियां :– सरहद (व्यंग) भाग -1 !!
कुन्डलियां :– सरहद -1!!
हद की सरहद लांघ कर ,
गदगद हुआ अधीर !
चार लाख जज्बात से ,
दुर्जन बना फ़कीर !!
दुर्जन बना फ़कीर ,
खीर को जी ललचाए !
टपकत लार अपार ,
घास कुछ रास न आए !!
कहे “अनुज” धर मान ,
प्रतिष्ठा ही ऐसा पद !
जुड़े भाव अनुकूल ,
तभी तो टूटे सरहद !!
अनुज तिवारी “इन्दवार”