कुदरत के रंग….एक सच
शीर्षक – कुदरत के रंग….. एक सच
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आप और हम सभी जानते हैं भाग्य और कुदरत ईश्वर की बने हुए सच है जब हम कभी शब्दों को बोलते हैं और उन शब्दों के साथ-साथ हमें दूसरों के साथ प्रतिक्रिया मिलती है तब हम उन शब्दों के विषय में सोचते हैं ऐसे ही जीवन और मृत्यु एक सच है परंतु जीवन में मृत्यु एक उम्र के साथ अच्छी लगती है और हम सभी उसके विषय में ज्यादा दुख भी नहीं करते हैं क्योंकि जो समय से जीवन जी कर मृत्यु को जाता है। तब शायद हम सब जने उसको सही समझते हैं ऐसे ही आज की कहानी मेरा भाग्य और कुदरत के रंग एक सच के साथ वह लौट आया है एक पुनर्जन्म का सच लेकर हम आए हैं जीवन के साथ हमारी कहानी भी एक गांव के साथ शुरू होती है। आधुनिक जीवन में अनुभव और हमारे माता-पिता की मान सम्मान को भी हम कभी-कभी नजर अंदाज कर देते हैं । और जब हमें अपनी गलती का एहसास होता है तब हम वो लौट आया कहते है और हम सब मेरा भाग्य और कुदरत के रंग में एक सच पढ़ते हैं।
बाद एक गांव धनपुर की है एक हंसता खेलता परिवार का बेटा राजन अपनी शादी की उम्र में पहुंच कर बहुत खुश था और उसके माता-पिता रानी और राजा भी अपने एकमात्र बेटे के लिए जीवन संगिनी ढूंढ कर उसके लिए उसका परिवार बनाने के लिए बहुत खुश थे और उनका बेटा राजन अपने लिए एक पत्नी के रूप में रजनी को पाकर बहुत खुश शादी के कुछ साल मुझे देखते हैं और एक बेटे को जन्म देती है उसका नाम अजय रखते हैं और दिन साल महीने बीते हैं अजय स्नातक की परीक्षा में आ जाता है और अब उसका कितना तक परीक्षा का आखिरी सेमेस्टर होता है और राजन और रजनी अपने बेटे अजय की जीवन के सपने देखने लगते हैं और राजन भी अपनी बेटी अजय के लिए तरह-तरह के सपने और बहू के लिए तस्वीरें देखने लगता है परंतु हम सभी अपने भाग्य कुदरत को भूल जाते हैं और समय पंख लगा कर कब उड़ जाता है किसी को पता नहीं लगता ऐसे ही कुछ राजन और रजनी के साथ था उनका बेटा अजय कब शहर से पढ़कर स्नातक परीक्षा में पहुंच गया और वह उसकी शादी के सपने भी देखने लगे।
मेरा भाग्य और कुदरत के रंग एक सच समय के साथ-साथ सब बदल जाता है और जो जाता हैं वह लौट आता है ऐसा हम समझते हैं। ऐसे ही जीवन का सफर और जीवन चलता है। सच तो जीवन में कुछ भी नहीं है और हम सब भी सच कहां है बस सांसों के पिंजरे में हमारे मन और भाव एक दूसरे के साथ आंख में मिचौनी खेलते हैं। और जीवन कब पंख लगा कर उड़ जाता है शायद हम सभी को नहीं मालूम बस समय के साथ-साथ राजन और रजनी के सपने टूट जाते हैं क्योंकि अजय अपनी मनपसंद लड़की के साथ शहर में ही शादी करके अनजान बन जाता है और राजन और रजनी के सपने एक शीशे की तरह टूट जाते है।
राजन और रजनी अपने बेटे की पसंद को देखने के लिए शहर जाते हैं परंतु अजय और अनीता राजन और रजनी को एक माता-पिता की तरह भी स्वीकार नहीं करते हैं और उनकी बेइज्जती करके अपने घर से धक्का दे देते हैं क्योंकि अजय गांव की जिंदगी से न खुश था और उसे जिंदगी में अपने माता-पिता से कुछ मिला भी नहीं था। ऐसी अजय की सोच थी परंतु राजन और रजनी अपना दायित्व निभाकर अजय को कह देते हैं बेटा अगर कभी तुझे दुख हो या तुझे अपनी गलती का एहसास हो तो तुम अपने गांव अपने माता-पिता के पास लौट आना हमें तेरी पसंद पर खुशी है परंतु अनीता एक अच्छी लड़की नहीं है और वहअपनी पत्नी रजनी के साथ गांव लौट आता है।
अनीता तो केवल शहर की चमक में अजय को उसके धन और संपत्ति के साथ-सा द भोलेपन का फायदा उठा रही थी एक दिन अचानक अजय घर पहुंचता है तब अनीता दरवाजा खोलती है उससे पहले ही अजय दरवाजे की हॉल में से अंदर का नजारा देख चुका होता है अनीता और कोई नया आदमी बिस्तर पर हम बिस्तर हो रही थे। अजय यह देखकर अनीता को समझ जाता है और उसे अपने पिता राजन माता रजनी की बात याद आती है परंतु वह दरवाजा खटखटा चुका होता है और अनीता दरवाजा खुलता है तब राजन उसे आदमी का परिचय पूछता है तो वह कहती है शरद है और यह मेरा दूर का भाई है। परंतु अजय सब कुछ देख चुका होता है।
अजय अपने सभी रूपए पैसे भरकर बैग में और बिना कुछ कहे अनीता से रात के अंधेरे में निकल जाता है और वह सीधा अपने गांव अपने माता-पिता के पास पहुंचता है राजन और रजनी अजय को देखकर बहुत खुश होते हैं परंतु अजय बिना कुछ भी बोले अपने ऊपर कमरे में जाकर सो जाता है राजन रजनी से कहता है वह लौट आया है क्योंकि उसके चेहरे का रंग बताता है कि वह बहुत बड़ा धोखा खाकर लौट है और रजनी ऊपर मिलने जाना चाहती है परंतु राजन रजनी का हाथ पकड़ लेता है और कहता है बहुत आया है अब तुम चिंता ना करो उसे कुछ देर अकेले रहने दो रजनी रहती है क्या सच हमारा अजय लौट आया है राजन कहता है हां हमारा बेटा अजय लौट आया है।
आधुनिक युग में आज की कहानी मेरा भाग्य और कुदरत के रंग सच कहते हैं वह लौट आया है क्योंकि हम सभी जवानी में अनुभव न होने के साथ-साथ गलत राहत पर जा सकते हैं परंतु माता-पिता का अनुभव हमें बहुत कुछ सीखना है बस सो इस बात की है कि हमें अपने माता-पिता का किस तरह से अनुभव अपने जीवन में मानना है और मेरा भाग्य कुदरत के रंग एक सच कहते हैं कि वह लौट आया है और राजन और रजनी के जीवन में फिर खुशियां और बहार वापस आ जाती है। बो लौट आया है और राजन और रजनी की जिंदगी में तो वो लौट आया है उनका बेटा अजय ही होता है।
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नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र