कुत्तों की बारात (हास्य व्यंग)
हाथी अपनी मस्त चाल चल पड़ा है,
देश के विकास में वह जुट पड़ा है।
पर कुछ कुत्ते उसके पीछे भौंक रहे है,
फिर भी उसकी चाल में न फर्क पड़ा है।
हाथी चलता रहता है,कुत्ते भौंकते रहते है,
और एक दूसरे की रोटी वे छीनते रहते है।
एकता के लिए इकठ्ठे हुए सब एक जगह,
फिर भी वे एकता की टांग खींचते रहते है।।
करते रहते है सभा एक दूजे के स्थान पर,
पर एक मत नही हुए किसी एक स्थान पर।
मुखिया कौन बनेगा इस सभा का भाई,
भौंकते रहते है इसी बात पे हर स्थान पर।।
कुत्तों की बारात है,इसमें अजीब नज़ारा है,
बाराती इनमे कोई नही अजीब नजारा है।
बैंड बाजे के नाम पर कुत्ते सब भौंक रहे है,
दूल्हा बनना चाहते हैं घोड़ा सबको प्यारा है।।
राजनीति से कुछ न लेना ,सच बात लिखता हूं
जो दिखाई दे रहा है उसको ही यहां लिखता हूं।
बुरा न माने कोई इसका सच तो कड़वा होता है,
कुत्तों की ये बारात दूल्हा इसका कोई न होता है।।
हाथी ने अपनी सही मंजिल पकड़ ली है।
भ्रष्ठाचारियो की दौलत को पकड़ ली है।
खत्म हो रही है अकड़ धीरे धीरे उनकी,
इडी सी बी आई की रस्सी से जकड़ ली है।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम