कुत्ते (तीन कुंडलियाँ)*
कुत्ते (तीन कुंडलियाँ)*
—————————————————-
( 1 )
कुत्ते मिलते हर गली , चौराहे हर मोड़
बदमाशों – से लग रहे , गुंडों के गठजोड़
गुंडों के गठजोड़ , दैत्य – से दिखने वाले
दिखते रस्ता रोक , रात में भूरे – काले
कहते रवि कविराय , पैर डर से हैं हिलते
काँपे पूर्ण शरीर , दुष्ट जब कुत्ते मिलते
(2)
कुत्ते बोले क्यों भई , कहाँ चल दिए आप
बीच सड़क पर मिल गए ,सड़क रहे जब नाप
सड़क रहे जब नाप ,सात थे चलते – फिरते
हम रह गए अवाक , देख कुत्तों में घिरते
कहते रवि कविराय , आग के लगते शोले
समझो हम यमदूत , डरा कर कुत्ते बोले
(3)
रोकी साँसें जब दिखे ,हमको कुत्ते सात
मरने – जीने की लगा ,आई है अब बात
आई है अब बात ,चले हम डरते – डरते
घबराए बेचैन , बचे ज्यों मरते – मरते
कहते रवि कविराय ,सुनी सब टोका-टोकी
सुन-सुन कर भौंकार ,,साँस रस्ते-भर रोकी
—————————————————
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451