कुण्डलिया
कुण्डलिया
श्यामल- श्यामल मेघ हैं, मेघ रंग के श्याम ।
झूला -झूला ढूँढती , कहाँ छुपे घनश्याम ।
कहाँ छुपे घनश्याम,कहीं वो नज़र न आये ।
लुकछुप करके रास, साँवरा खूब सताये ।
छेड़ बांसुरी राग , करे वो मन को पागल ।
झूल -झूल सँग श्याम, हो गयी राधा श्यामल ।
सुशील सरना/24-7-24