* कुण्डलिया *
* कुण्डलिया *
बढता हरपल जा रहा, सघन धुंध का जोर।
सर्द ऋतु की भोर में, इधर उधर हर ओर।
इधर उधर हर ओर, शांत माहौल बना है।
घर में दुबके लोग, निकलना स्वयं मना है।
कहते वैद्य सुरेन्द्र, सहन करना सब पड़ता।
हुए सभी मजबूर, ताव सर्दी का बढ़ता।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, ०७/०१/२०२४