“कुण्डलिया”
“कुण्डलिया”
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दीवाली की धूम है , रौशन सब घर – बार ।
आज नाचे गाएं हम , खुशियों की भरमार ।।
खुशियों की भरमार , कैसा ये पर्व सुहावन ।
सदा सुखद अहसास,देखके छवि मनभावन।।
कहे ‘अजित’ कविराय,ग़ज़ब ये रात निराली।
हर्षित मन हो जाए , है यह ख़ास दीवाली ।।
स्वरचित एवं मौलिक ।
सर्वाधिकार सुरक्षित ।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 03 नवंबर, 2021.
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