कुण्डलिया- पिता
मिले खुशी परिवार को लगा देत जी जान,
चिंता में रहते सदा पिता हमारे प्रान।
पिता हमारे प्रान थककर भी वे न थकते,
हर गम हैं झेलते हमेशा हंसते हंसते।
कह अशोक कविराय किसी से न करते गिले,
फर्ज निभा सोचते सबको खूब खुशी मिले।।
–अशोक छाबडा