कुण्डलिया- सुबह सुबह की नींद
कुण्डलिया- सुबह सुबह की नींद
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होते ही सूरज उदय, टूटी यह उम्मीद।
जिसको कहते हैं सभी, सुबह सुबह की नींद।
सुबह सुबह की नींद, बहुत लगती है प्यारी।
लेकिन घर के लोग, छेड़ते बारी-बारी।
समझाते हैं रोज, न मानव इतना सोते।
लेते दिन में नींद, यहाँ जो उल्लू होते।।
– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 23/06/2020