कुण्डलिया छंद
राम नाम रटते रहो,नहीं बनेगा काम.
कर्म बिना सब व्यर्थ है,इससे ही परिणाम.
इससे ही परिणाम,विकल्प नहीं है दूजा.
कर्म करे जा नित्य,वही है असली पूजा.
कहे ‘सहज’ कविराय, सद्कर्म दिलाये नाम.
करो फ़र्ज़ निष्काम,तो दौड़ा आये राम.
@डॉ.रघुनाथ मिश्र ‘सहज’
अधिवक्ता/साहित्यकार
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