कुण्डलिया:सत्ता-कुर्सी
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कुर्सी छोटी होती पर, बहुत बड़ा है मान।
अलग-अलग कुर्सियों का, ह अलग-अलग सम्मान।।
जे बैठे सत्ता पाके , रौब में ऊ आवे,
पावे के खातिर एके, कई जान चलि जावे।
कहे सलाह अशोक, करनी ऊँच कर भाई,
जे सब ढंग जानी , ऊहे ई कुर्सी पाई।।
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अशोक शर्मा, लक्ष्मीगंज,कुशीनगर,उ.प्र.
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